नियमताबाद: किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में किसानों का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है, पर तब क्या हो जब किसानों की फसल ही सुरक्षित न रहे। बात ज्यादा घुमा फिरा कर करने की जरूरत इसलिए करनी पड़ती है ताकि फसल की क्षति वास्तव में क्या होती है यह पता चले। नियमताबाद के स्थानीय किसान आवारा पशुओं से इतने परेशान हैं कि उन्हें सरकारी मुलाजिमों से ज्यादा व्यस्त रहना पड़ रहा है और सरकारी मुलाजिम मजे से आराम फरमा रहे हैं, पर उन्हें किसानों की और नाही किसानों के फसल की चिंता है।
फसल नष्ट होगी तो किसान कैसे रहेगा आबाद
देश में किसानों के आय को दुगुनी हो जाने दावा भी किया जा रहा है। जब फसल ही नष्ट हो जाएगी तो किसान कैसे आबाद हो पाएगा। छुट्टा जानवरों का कहर इतना बढ़ गया है कि क्षेत्र के हर गली चौराहे पर दो,चार,दस आवारा पशु विहार करते नजर आते होंगे जिन्होंने किसानों के फसलों को नष्ट करने का जैसे बीड़ा उठा लिया हो और आते जाते लोग तो परेशान हैं ही। स्थानीय लोगो की शिकायतें मात्र बेकार पड़े रद्दी कागजों की तरह सरकारी मुलाजिमों के कूड़ेदान में पड़े मिल जायेंगे। ऊपर से प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की किसानों की चिंता जगजाहिर है। किसानों खेत में पशु ऐसे कूदकर फसल नष्ट कर रहे है जैसे फ्री का लंगर लगा हो। किसानों की यह आफत इतनी बड़ी हैं कि खेत की हजारों रुपए खर्च कर घेराबंदी करनी पड़ रही है।
किसान परेशान, अधिकारी मस्त
मसला इतना गंभीर है कि किसान की यही दुर्गति रही तो देश की अर्थव्यवथा सुधारनी तो दूर की बात है,किसान बर्बाद हो जायेंगे। वहीं प्रदेश सरकार आवारा पशु से निजात दिलाने हेतु हर जनपद में पशुओं के लिए गौ आश्रम की व्यवस्था भी करा दी है पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण किसानों की चिता जस की तस बनी हुई है। सरकारी वादा सिर्फ खोखला साबित रह गया है।
संवाददाता : दिलीप कुमार मौर्य