सदर : “देश में सभी को एक जैसी शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए चाहे वह राष्ट्रपति की संतान हो या डीएम, किसान, मजदूर का. सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने से ही यह संभव हो सकेगा और अगर सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों व न्यायाधीशों के बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाएंगे तो सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता में रातों-रात सुधार होगा जिसका फायदा गरीब जनता को भी मिलेगा और उसका बच्चा भी अच्छी शिक्षा पाएगा ।” उक्त बातें ‘ समान शिक्षा अधिकार यात्रा ‘ के संयोजक दीन दयाल सिंह ने यात्रा की शुरुआत करते हुए कही.
सरकारी स्कूलों में उच्च स्तरीय सुधार की जरुरत
युवा सामाजिक कार्यकर्ता सतीश ने कहा कि सभी सरकारी स्कूलों में उच्च स्तर के संसाधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए और सभी सांसद एवं विधायक अपनी निधि से अनिवार्य रूप से कम से कम 30 प्रतिशत धनराशि अपने क्षेत्र के सरकारी/ परिषदीय विद्यालयों के संसाधन को उच्च स्तरीय बनाने में व्यय करना चाहिए. समान शिक्षा अधिकार यात्रा के राजकुमार ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता बढाने के लिए परिषदीय विद्यालयों में शिक्षको की कमी दूर की जानी चाहिए साथ ही यह सुनिश्चित हो कि शिक्षकों से किसी भी प्रकार का गैर शैक्षणिक कार्य न कराया जाय और प्रत्येक सरकारी विद्यालय पर अनिवार्य रूप से लिपिक, परिचारक, चौकीदार और सफाई कर्मी की नियुक्ति हो.
समान शिक्षा अधिकार यात्रा की हुई शुरुआत
सभी के लिए समान एवं बेहतर शिक्षा के पक्ष में ‘एक देश समान शिक्षा प्रणाली अभियान’ एवं सामाजिक संस्था ‘आशा ट्रस्ट’ के संयुक्त तत्वावधान में 3 दिवसीय ‘समान शिक्षा अधिकार यात्रा’ की शुरुआत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के मुख्य द्वार पर जन गीतों के साथ हुई । समान शिक्षा अधिकार यात्रा में मुख्य रूप से सुरेश राठौर, दीनदयाल, अजय पटेल, वल्लभाचार्य, प्रो महेश विक्रम सिंह, डॉ नीता चौबे , विनय शकंर राय ‘ मुन्ना ‘ , मुकेश , डॉ इंदु पांडेय, नंदलाल मास्टर, अजय राय, चिंतामणि सेठ, सूरज, राजकुमार, बृजेश यादव, आनंद यादव, अमित पांडेय, दीन दयाल, धनंजय, सहित कई लोग शामिल रहे।