डीडीयू नगर। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर जीटी रोड स्थित एक सभागार में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन उप्र शाखा इकाई पं दीनदयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) के तत्वावधान में 11वां सम्मेलन एवं सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका विषय पर एक विचार गोष्ठी भी सम्पन्न हुयी।
विद्या का अर्थ है अज्ञानता का समापन
समारोह में उपस्थित पत्रकारों एवं आमंत्रित बंधुओं को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने कहा कि विद्या का अर्थ अज्ञानता का समापन है और एक शिक्षक अपने बल पर विवेक का विस्तार करते हुए मोक्ष तक पहुंचाने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि एक सभ्य समाज के निर्माण में शिक्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और गुरू को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है तो वह मात्र इसलिए कि वह व्यक्ति में एक नये व्यक्ति को जन्म देता है, ज्ञान का विस्तार करता है और शंकर की तरह नकारात्मक प्रवृत्तियों का नाश करता है। वह हमेशा नीर-क्षीर विवेकी व्यक्ति को जन्म देता है और यदि वह ऐसा नहीं करता है तो यह समझा जाता है कि वह शिक्षित नहीं बल्कि केवल साक्षर बनाता है।
आजादी के बाद पिछले 70 वर्षों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम कोशिशों के बावजूद अभी हम एक राष्ट्र नहीं बना पाये हैं। जात-पात, आडम्बर आदि समाप्त हो जाने चाहिए थे लेकिन वे आज भी मौजूद है। श्री सिंह ने थोपे गये अनुशासन को गैर जरूरी मानते हुए आत्मकेन्द्रित अनुशासन पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार भी एक शिक्षक है जो सही सूचनाओं को समाज के सामने संप्रेषित करता है, उसकी समीक्षा करता है और सत्य को उद्घाटित भी।
राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों का एक महत्वपूर्ण स्थान
शिक्षक दिवस के पूर्व संध्या पर वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी दिनेश चन्द्रा ने कहा कि शिक्षक माली होता है और भविष्य की चिन्ता न करते हुए पौधों को रोपता है, पानी देता है लेकिन फल की चिन्ता नहीं करता है। प्लांट डिपो के डिप्टी चीफ इंजीनियर विजय मिश्र बुद्धिहीन ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण स्थान शिक्षकों का होता है। तमाम तकनीकी विकासों के बावजूद शिक्षक के बगैर काम नहीं चल पाता।
देश में शिक्षक चयन की प्रक्रिया सही नहीं
विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य सोमपाल ने कहा कि शिक्षक एक साधारण व्यक्ति नहीं होता बल्कि वह सही मायनों में केवल व केवल राष्ट्र निर्माता होता है। उन्होंने आगाह किया कि देश में शिक्षक चयन की प्रक्रिया सही नहीं है और तमाम ऐसे लोग शिक्षक बन गये हैं जो कभी शिक्षक बनना हीं नहीं चाहते थे। मजबूरी में बने शिक्षक से समाज और राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा रखना ही गलत है। आज तमाम तरह के प्रयोग शिक्षा पर ही हो रहे हैं और शिक्षा नीति कैसी होनी चाहिए, इसका कोई स्वरूप नहीं बन पाया है। अनुशासनहीनता बढ़ी है, सहनशीलता घटी है।
ग्रापए के संगठन मंत्री महेन्द्र सिंह ने पुलिस अधीक्षक से मांग की कि पत्रकारों के साथ यदि किसी उत्पीड़न की सूचना आपको प्राप्त हो तो अपने स्तर से पत्रकारों के जान-माल की रक्षा करने की कोशिश करते हुए उनका सरपरस्त बनें। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन डॉ अनिल यादव ने किया।
इस अवसर पर डॉ महेन्द्र कुमार पाण्डेय, मेजर अमरेन्द्र सिंह, आनन्द श्रीवास्तव, डॉ जयशंकर चौबे, एकता श्रीवास्तव, श्रेया गुप्ता, आकाश वर्मा, ममता आजाद, उपेन्द्र पटवर्धन, प्रदीप यादव, डॉ जेपी यादव, सुभाष क्षेत्रपाल, डॉ जीके पाण्डेय, डॉ राजकुमार, मुर्तजा अंसारी को विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान हौसला प्रसाद त्रिपाठी, राजेश दूबे, धर्मेन्द्र प्रजापति, निजाम बाबू, अब्दुल खालिक, राजन तिवारी, अनिल कुमार, आरके तिवारी, रोहित यादव, मो राशिद, शाकिर अंसारी, प्रमोद अग्रहरि, उमेश दूबे, विकास शर्मा, कुमार संजय आदि सदस्य मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता फैयाज अंसारी, कुशल संचालन कमलेश तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन कृष्णकान्त गुप्ता ने किया।