सैयदराजा : एक सैनिक अपने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राण तक कुर्बान कर देता है , लेकिन बदले में उस वीर सपूत के परिवार को क्या मिलता है ? इसका एक जीता जागता उदाहरण है चंदौली जनपद के एकमात्र अशोक चक्र विजेता शहीद बेचन सिंह मौर्य का परिवार.
सैयदराजा थाना क्षेत्र के भतीजा गाँव निवासी शहीद बेचन सिंह मौर्य ने 1961 में गोवा गणराज्य की लड़ाई में पुर्तगालियों के खिलाफ अदम्य साहस व युद्ध कौशल का परिचय दिया. पुर्तगालियों से गोवा को आजाद कराने में शहीद बेचन सिंह मौर्य ने अपने जान की बाज़ी तक लगा दी. तत्कालिक राष्ट्रपति ने शहीद बेचन सिंह को उनके अदम्य साहस व वीरता के लिए, उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया.
उपेक्षा का शिकार शहीद बेचन सिंह मौर्य का परिवार
भारतीय नौसेना में कार्यरत शहीद बेचन सिंह अपने साथियों के साथ तिरंगा लेकर किले पर फहराने जा रहे थे तभी पुर्तगाली सेना का हैण्ड ग्रेनेड उनके सीने पर लगी और वो वहीँ वीर गति को प्राप्त हो गये. अंततः गोवा को पुर्तगालियों से आज़ादी मिल गयी , लेकिन उस गोवा गणराज्य के आजादी की लड़ाई के नायक रहे शहीद बेचन सिंह मौर्य का परिवार आज भी उनके ना होने की कीमत चूका रहा है. सरकारी उपेक्षा व स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा से, आर्थिक तंगी व गरीबी का दंश परिवार आज भी झेल रहा है.
Chandauli Times से वार्ता में शहीद बेचन सिंह मौर्य के पुत्र धर्मदेव सिंह, नम आँखों से उन पुरानी यादों को ताज़ा करते हुए बताते हैं कि मेरी उम्र 1 वर्ष ही थी जब पिता जी 18 दिसम्बर 1961 को शहीद हो गये. मेरी माँ कलावती देवी ने पेंशन के सहारे, बहुत कठिनाइयों में मेरा लालन – पालन किया . वर्ष 2001 में माँ की मृत्यु होने के बाद परिवार को मिलने वाली पेंशन भी बंद हो गयी. धर्मदेव सिंह ने कहा कि पिता के शहीद होने पर भतीजा रोड का नाम शहीद बेचन सिंह स्मृति रोड रखने की घोषणा तात्कालिक मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने की थी, लेकिन सरकारी उपेक्षा की वजह से भतीजा रोड का नाम भी नहीं बदला जा सका.