चहनियाँ : क्षेत्र के कैथी गाँव निवासी सियाराम ने यह चरितार्थ कर दिया कि अगर व्यक्ति ठान ले तो कोई लक्ष्य दूर नहीं, साधारण परिस्थितियों में भी असाधारण कार्य किया जा सकता है । सियाराम पाल ने पान की दूकान से रिकॉर्ड पदकों तक का असाधारण सफ़र तय किया है और अभी भी उनके हौसले कई नए कीर्तिमान हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं । एक साधारण परिवार में जन्मे सियाराम ने अपनी दृढ इच्छाशक्ति से चंदौली जिले का नाम देश पटल पर स्थापित कर दिया ।
72 घण्टे खेलो इंडिया मल्टी एक्टिविटीज स्केटिंग मैराथन में रिकॉर्ड 8 पदक हासिल किया
स्केटिंग खिलाडी सियाराम पाल ने कर्नाटक में आयोजित 72 घण्टे खेलो इंडिया मल्टी एक्टिविटीज स्केटिंग मैराथन में रिकॉर्ड 8 पदक जीतकर तहलका मचा दिया । सियाराम ने जिन 8 रेकॉर्डों को हासिल किया है उनमे एशिया पैसिफिक रिकार्ड , एशिया बुक आफ रिकार्ड , ग्लोबल रिकार्ड , इण्डिया बुक आफ रिकार्ड , इंडीयन यंग एचीवर बुक रिकार्ड , नेशनल रिकार्ड , बेस्ट आफ इंडिया रिकार्ड व् चिल्ड्रेन रिकार्ड्स का प्रमाण पत्र मिला है । जिसमे कई प्रान्तों से 475 स्केटिंग ने प्रतिभाग किया था । पिछले 10 वर्षो से इस रिकार्ड को बनाने के लिए प्रयास जारी था । रिकॉर्ड 8 पदक जीत के साथ ही सियाराम का अगला लक्ष्य, आने वाले कम्पटीशन में गिनीज आफ वर्ल्ड रिकार्ड के बुक में नाम दर्ज कराना है ।
संघर्षों ने बनाया सियाराम पाल को एक बेहतरीन स्केटिंग खिलाड़ी
साधारण परिवार में जन्मे सियाराम अपने जीवन के शुरूआती दिनों से ही स्केटिंग का शौक था और वो अक्सर गाँव के सड़कों पर ही प्रायः स्केटिंग किया करते थे. लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रारंभ में उन्होंने अपनी जीविका चलाने के गाँव में ही पान की दूकान की. कुछ समय काल तक पान की दूकान चलाने के पश्चात सियाराम 2003 में जीविकोपार्जन की तलाश में मुंबई चले गये. मुंबई में सियाराम की नियमित स्केटिंग प्रैक्टिस उन्हें काम आई और उन्हें एक स्कूल में स्केटिंग शिक्षक की नौकरी मिल गयी. स्कूल में बच्चों को अच्छी ट्रेनिंग देने के कारण उनका नाम हुआ और उन्हें मुम्बई के प्रसिद्ध स्टेडियम, डी वाई पाटिल स्टेडियम में नौकरी मिल गयी.