चहनियां : क्षेत्र के सराय रसूलपुर गांव में खेत खुदाई के दौरान उमा माहेश्वर की मूर्ति मिली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रकाश यादव के खेत की खुदाई से यह मूर्ति मिली है, इस मूर्ति की पहचान प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डा.विनोद कुमार जायसवाल ने किया है जिसमे चतुर्भुज जटाजुट शिव व उनके बायी तरफ़ उमा है जिनकी ठुड्डी को शिव की दो अन्गुलिया स्पर्श कर रही है, शिव के दाहिने हाथ मे त्रिशूल, उसके नीचे नन्दी तथा पाद के सन्निकट गणेश है. शिव की जटा के समीप उपरी शिरा पर अक्षमाला व एक हाथ आशिर्वाद मुद्रा मे है और दाहिने भुजा पर नाग लपेटे हुए है, तथा दुसरे बाये हाथ से उमा को आलिन्गन किये हुए है. शिव का उमा की ठुड्डी पर अंगुली सम्भवतः लज्जावत उमा के रूप मे दर्शाया गया है.
11 वीं – 12 वीं शताब्दी में होता था ऐसे मूर्तियों का निर्माण
वहीँ इस बारे में BHU दृश्य कला संकाय के प्रो शांति स्वरुप सिन्हा ने बताया कि इस प्रकार की मूर्ति का निर्माण 11वीं – 12 वीं शताब्दी में होता था. यह मूर्ति जब शिव के जटा में गंगा जी आती हैं तब उमा जी द्वारा सौत डाह के चलते रूठने मनाने के समय का है. इस प्रकार की मूर्ति की प्राप्ति कन्द्वा के कर्दमेश्वर , शीतला मंदिर प्रह्लाद घाट , भैरव नाथ, प्रह्लाद घाट , कमच्छा और पंचकोशी मार्ग पर स्थित बभनियाव से भी हुई है. किन्तु विस्तार से उल्लेख हेतु स्थल का सूक्ष्म अवलोकन व सर्वेक्षणोपरान्त ही निष्कर्ष पर पहुचा जा सकता है।
बहरहाल जो भी हो परन्तु इस प्रकार की मूर्ति जनपद में मिलना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है और मूर्ति प्राप्त होने पर मूर्ति को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा मौके पर जमा हो गयी. वहीँ मूर्ति का निरीक्षण करने पुरातत्व विभाग के अधिकारीयों का मौके पर आने का सिलसिला जारी है.